प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वर्चुअल इंडिया मोबाइल कांग्रेस इस आयोजन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने दूरसंचार उपकरण, डिजाइन, विकास एवं विनिर्माण के लिए भारत को एक वैश्विक केंद्र बनाने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने यह चेतावनी दी कि प्रौद्योगिकीय उन्नयन के कारण हमारे पास हैंडसेट्स और गैजेट्स बार बार बदलने की संस्कृति है। उन्होंने प्रतिनिधियों से यह विचार करने के लिए कहा कि क्या उद्योग इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट से बेहतर रूप से निपटने और एक सर्कुलर अर्थव्यवस्था का सृजन करने के बारे में सोचने के लिए कार्यबल का गठन कर सकता है। उन्होंने भविष्य में लंबी छलांग लगाने के लिए 5जी का समय पर शुभारंभ सुनिश्चित करने और लाखों भारतीयों को सशक्त बनाने के लिए मिलकर काम करने का अनुरोध किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आ रही प्रौद्योगिकी क्रांति के साथ जीवन को बेहतर बनाने के बारे में सोचना और योजना बनाना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि किसानों को बेहतर स्वास्थ्य देखभाल, बेहतर शिक्षा, बेहतर जानकार...
नियोवाइस नाम का ऐक धूमकेतु चर्चा का विषय बना हुआ है,जिसे पृथ्वी से नरी आंखों से देख का सकता है। नियोवाइस धूमकेतु इस साल स्वान ओर एटलस के बाद इस साल देखे जाने वाला तीसरा धूमकेतु हे,परन्तु नियोवाइस को ये दो धूमकेतु के उलट नरी आंखो से देखा जा सकता है।
नियोवाइस का आधिकारिक नाम c/2020 F3 रखा गया जिसे नियोवाइस के नाम से जाना जाता है, निओवाइस का पूरा नाम (NEAR EARTH OBJECT WIDE FIELD INFRARED SURVEY EXPLORER) हे।इस धूमकेतु को 3 अगस्त तक देखा जा सकता है।इसे देखने के लिए टेलिस्कोप के आवश्यकता नहीं है।ये धूमकेतु 6800 साल बाद फिर से पृथ्वी की नजदीक आयेगा। नियोवाइस 1997 में हेली बोप् के बाद देखे जानेवाले उज्ज्वल धूमकेतु में से एक है।
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Image credit - NASA |
नियोवाइस का डायमीटर 5 किमी है ,जो एक ओसत प्रकार का धूमकेतु हे।ये धूमकेतु 231000 किमी के जड़प से सूर्य की तरफ बढ़ रहा है,ये धूमकेतु पृथ्वी से दुगनी गति से परिक्रमा कर रहा है आज ओ पृथ्वी से 100 मिलीयन किमी दूर से पसार होगा।इसे नासा की निओवाइस लैब ने खोजा था।
नियोवाइस में दो पूछ है जो हर धूमकेतु में होती है एक पूछ सोडियम की हो सकती है,जैसे सूर्य की नजदीक पोहचता हे पूछ लंबी होती जाती है। नियोवाइस में 50 पानी ओर 50 डस्ट से बना हुआ है। नियोवाइस को 31 मार्च को धूमकेतु के रूप में वर्गीकृत किया गया था ओर 1 अप्रैल को नियोवाइस नाम दिया गया था।
धूमकेतु
धूमकेतु बर्फ,धूल,पत्थर,गेस से बने छोटे खंड होते है।जिसमे बर्फ कार्बन डाइऑक्साइड,अमोनिया जैसे वायु होते है।धूमकेतु भी ग्रह की तरह पृथ्वी की आसपास प्रदीक्षणा करते है।उसका परिक्रमा समय उसकी कक्षा अनुसार अलग अलग होते है।
धूमकेतु का नाम पहले देखे जाने वाले वर्ष के हिसाब से रखा जाता था ,परंतु कहीं धूमकेतु फिर से देखे जाते थे इसे लिए नामकरण की ये पद्धति वास्तविक नहीं थी।बाद में धूमकेतु का नाम खोजे करने वाले के नाम पर रखा जाता था ,अगर खोज करने वाला कोय साधन हो तो उसके नाम पर रखा जाता था।
1994 के बाद से अब धूमकेतु का नाम देखे जाने वाले वर्ष,दिखाई देने वाले पखवाड़े ओर उस वर्ष में दिखाई जाने वाले क्रम के अनुसार रखा जाता है।
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